< श्री राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र >
जय श्री राधे
मुनीन्द्र-वृन्द- वन्दिते त्रिलोक-शोक- हारिणि
प्रसन्न वक्त्र-पङ्कजे निकुञ्ज-भू-विलासिनि ।
व्रजेन्द्र-भानु- नन्दिनि व्रजेन्द्र - सूनु-संगते
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥1॥
हिंदी अर्थ:- सभी मुनिगण आपके चरणों की वंदना करते हैं, आप तीनों लोकों का दुःख दूर करने वाली हैं, आप प्रसन्नचित्त प्रफुल्लित मुख कमल वाली हैं, आप पृथ्वी पर निकुंज में विलास करने वाली हैं। आप राजा वृषभानु की राजकुमारी हैं, आप ब्रजराज नन्द किशोर श्री कृष्ण की चिरसंगिनी है, हे जगज्जननी श्रीराधे माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (1)
अशोक-वृक्ष-वल्लरी वितान मण्डप स्थिते
प्रवालज्बाल-पल्लव प्रभारुणांघ्रि- कोमले । वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥2॥
हिंदी अर्थ:- आप अशोक की वृक्ष-लताओं से बने हुए मंदिर में रहतीं हैं, आप सूर्य की प्रचंड अग्नि की लाल ज्वालाओं के समान कोमल पैरों वाली हैं, आप भक्तों को अभीष्ट वरदान, अभय दान देने के लिए सदैव उत्सुक रहने वाली हैं। आप के हाथ सुन्दर कमल के समान हैं, आप अपार ऐश्वर्य की भंङार स्वामिनी हैं, हे सर्वेश्वरी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (2)
अनङ्ग-रङ्ग-मङ्गल-प्रसङ्ग-भगुर-भ्रुवां
सविभ्रमं ससम्भ्रमं दृगन्त - बाणपातनैः ।
निरन्तरं वशीकृत-प्रतीतनन्दनन्दने
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥3॥
हिंदी अर्थ:- रास क्रीड़ा के रंगमंच पर मंगलमय प्रसंग में आप अपनी बाँकी भृकुटी (भौंहें) से आश्चर्य उत्पन्न करते हुए सहज कटाक्ष रूपी वाणों की वर्षा करती रहती हैं। आप श्री नन्दकिशोर को निरंतर अपने बस में किये रहती हैं, हे जगज्जननी वृन्दावनेश्वरी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (3)
तडित् - सुवर्ण- चम्पक-प्रदीप्त- गौरविग्रहे
मुखप्रभा- परास्त-कोटि- शारदेन्दुमण्डले ।
विचित्र - चित्र सञ्चरच्चकोर - शाव - लोचने
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥4॥
हिंदी अर्थ:- आप बिजली के जैसी, स्वर्ण तथा चम्पा के पुष्प के समान सुनहरी आभा वाली हैं, आप दीपक के समान गोरे अंगों वाली हैं, आप अपने मुखारविंद की चाँदनी से शरद पूर्णिमा के करोड़ों चन्द्रमा को लजाने वाली हैं। आपके नेत्र पल-पल में विचित्र चित्रों की छटा दिखाने वाले चंचल चकोर शिशु के समान हैं, हे वृन्दावनेश्वरी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (4)
मदोन्मदाति-यौवने प्रमोद - मान-मण्डिते
प्रियानुराग- रञ्जिते कला-विलास पण्डिते ।
अनन्यधन्य-कुञ्जराज्य कामकेलि कोविदे
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥5॥
हिंदी अर्थ:- आप अपने चिर-यौवन के आनन्द के मग्न रहने वाली है, आनंद से पूरित मन ही आपका सर्वोत्तम आभूषण है, आप अपने प्रियतम के अनुराग में रंगी हुई विलासपूर्ण कला पारंगत हैं। आप अपने अनन्य भक्त गोपिकाओं से धन्य हुए निकुंज-राज के प्रेम क्रीड़ा की विधा में भी प्रवीण हैं, हे निकुँजेश्वरी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (5)
अशेष-हावभाव-धीरहीरहार-भूषिते
प्रभूतशातकुम्भ-कुम्भकुम्भि कुम्भसुस्तनि ।
प्रशस्तमन्द- हास्यचूर्ण पूर्णसौख्य-सागरे
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥6॥
हिंदी अर्थ:- आप संपूर्ण हाव-भाव रूपी श्रृंगारों से परिपूर्ण हैं, आप धीरज रूपी हीरों के हारों से विभूषित हैं, आप शुद्ध स्वर्ण के कलशों के समान अंगो वाली है, आपके पयोंधर स्वर्ण कलशों के समान मनोहर हैं। आपकी मंद-मंद मधुर मुस्कान सागर के समान आनन्द प्रदान करने वाली है, हे कृष्णप्रिया माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (6)
मृणाल वाल-वल्लरी तरङ्ग-रङ्ग-दोर्लते
लताग्र- लास्य- लोल-नील लोचनावलोकने । ललल्लुलन्मिलन्मनोज्ञ-मुग्ध-मोहनाश्रये
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥7॥
हिंदी अर्थ:- जल की लहरों से कम्पित हुए नूतन कमल-नाल के समान आपकी सुकोमल हांथ हैं, आपके नीले चंचल नेत्र पवन के झोंकों से नाचते हुए लता के अग्र-भाग के समान अवलोकन करने वाले हैं। सभी के मन को ललचाने वाले, लुभाने वाले मोहन भी आप पर मुग्ध होकर आपके मिलन के लिये आतुर रहते हैं ऎसे मनमोहन को आप आश्रय देने वाली हैं, हे वृषभानुनन्दनी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (7)
सुवर्णमलिकाञ्चित- त्रिरेख - कम्बु- कण्ठगे
त्रिसूत्र - मङ्गली-गुण- त्रिरत्न-दीप्ति-दीधिते ।
सलोल - नीलकुन्तल- प्रसून- गुच्छ - गुम्फिते
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥8॥
हिंदी अर्थ:- आप सोने की मालाएं पहने हुए हैं, आप तीन रेखाओं युक्त शंख के समान सुन्दर कण्ठ वाली हैं, आपने अपने कण्ठ में प्रकृति के तीनों गुणों का मंगलसूत्र धारण किया हुआ है, इन तीनों रत्नों से युक्त मंगलसूत्र समस्त संसार को प्रकाशमान कर रहा है। आपके काले घुंघराले बाल दिव्य पुष्पों के गुच्छों से अलंकृत हैं, हे कीरतिनन्दनी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (8)
नितम्ब-बिम्ब-लम्बमान-पुष्पमेखलागुणे
प्रशस्तरत्न- किङ्किणी-कलाप - मध्य मञ्जुले
करीन्द्र- शुण्डदण्डिका- वरोहसौभगोरुके
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥9॥
हिंदी अर्थ:- आपका उर भाग में फूलों की मालाओं से शोभायमान हैं, आपका मध्य भाग रत्नों से जड़ित सोने के आभूषणों से सुशोभित है। आपकी जंघायें हाथी की सूंड़ के समान अत्यन्त सुन्दर हैं, हे ब्रजनन्दनी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (9 )
अनेक-मन्त्रनाद-मञ्जु नूपुरारव-स्खलत्
समाज- राजहंस - वंश - निक्कणाति गौरवे ।
विलोलहेम-वल्लरी-विडम्बिचारु-चङ्क्रमे
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥10॥
हिंदी अर्थ:- आपके चरणों में सोने की पायल की सुमधुर ध्वनि अनेकों वेद मंत्रो के समान गुंजायमान करने वाले हैं, जैसे मनोहर राजहसों की ध्वनि गूँजायमान हो रही है। आपके अंगों की छवि चलते हुए ऐसी प्रतीत हो रही है जैसे स्वर्णलता लहरा रही है, हे राधे माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (10)
अनन्त-कोटि-विष्णुलोक - नम्र - पद्मजार्चिते
हिमाद्रिजा- पुलोमजा विरिञ्चजा- वरप्रदे ।
अपार-सिद्धि-ऋद्धि-दिग्ध-सत्पदाङ्गुली-नखे
कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥11॥
हिंदी अर्थ:- अनंत कोटि बैकुंठो की स्वामिनी श्रीलक्ष्मी जी आपकी पूजा करती हैं, श्रीपार्वती जी, इन्द्राणी जी और सरस्वती जी ने भी आपकी चरण वन्दना कर वरदान प्राप्त किया है। आपके चरण-कमलों की एक उंगली के नख का ध्यान करने मात्र से अपार सिद्धि की प्राप्ति होती है, हे करूणामयी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (11)
मखेश्वरि क्रियेश्वरि स्वधेश्वरि सुरेश्वरि
त्रिवेद-भारतीश्वरि प्रमाण-शासनेश्वरि ।
रमेश्वरि क्षमेश्वरि प्रमोद - काननेश्वरि
व्रजेश्वरि व्रजाधिपे श्रीराधिके नमोऽस्तु ते ॥12॥
हिंदी अर्थ:- आप सब प्रकार के यज्ञों की स्वामिनी हैं, आप संपूर्ण क्रियाओं की स्वामिनी हैं, आप स्वधा देवी की स्वामिनी हैं, आप सब देवताओं की स्वामिनी हैं, आप तीनों वेदों की स्वामिनी है, आप संपूर्ण जगत पर शासन करने वाली हैं। आप रमा देवी की स्वामिनी हैं, आप क्षमा देवी की स्वामिनी हैं, आप आमोद-प्रमोद की स्वामिनी हैं, हे ब्रजेश्वरी! हे ब्रज की अधीष्ठात्री देवी श्रीराधिके! आपको मेरा बारंबार नमन है। (12)
इतीदमद्भुतं-स्तवं निशम्य भानुनन्दिनी
करोतु सन्ततं जनं कृपाकटाक्ष भाजनम् ।
भवेत्तदैव सञ्चित त्रिरूप-कर्म नाशनं
लभेत्तदा व्रजेन्द्र- सूनु-मण्डल-प्रवेशनम् ॥13॥
हिंदी अर्थ:- हे वृषभानु नंदिनी! मेरी इस निर्मल प्रार्थना को सुनकर सदैव के लिए मुझ दास को अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करने की कृपा करो। केवल आपकी कृपा से ही मेरे प्रारब्ध कर्मों, संचित कर्मों और क्रियामाण कर्मों का नाश हो सकेगा, आपकी कृपा से ही भगवान श्रीकृष्ण के नित्य दिव्यधाम की लीलाओं में हमेशा के लिए प्रवेश हो जाएगा। (13)
राकायां च सिताष्टम्यां दशम्यां च विशुद्धधीः ।
एकादश्यां त्रयोदश्यां यः पठेत्साधकः सुधीः ॥14॥
हिंदी अर्थ:- यदि कोई साधक पूर्णिमा, शुक्ल पक्ष की अष्टमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी के रूप में जाने जाने वाले चंद्र दिवसों पर स्थिर मन से इस स्तोत्र का पाठ करे तो। ( 14 )
यं यं कामयते कामं तं तमाप्नोति साधकः ।
राधाकृपाकटाक्षेण भक्तिःस्यात् प्रेमलक्षणा ॥15॥
हिंदी अर्थ:- जो-भी साधक की मनोकामना हो वह पूरी हों। और श्री राधा की कृपा दृष्टि से वे भक्ति सेवा प्राप्त करें जिसमें भगवान के शुद्ध, परमानंद प्रेम
के विशेष गुण हैं। ( 15 )
ऊरुदघ्ने नाभिदघ्ने हृद्दघ्ने कण्ठदघ्नके ।
राधाकुण्डजले स्थिता यः पठेत् साधकः शतम् ॥16॥
हिंदी अर्थ:- जो साधक श्री राधा-कुंड के जल में खड़े होकर (अपनी जाँघों, नाभि, छाती या गर्दन तक) श्री राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र का 100 बार पाठ करे । (16 )
तस्य सर्वार्थ सिद्धिः स्याद् वाक्सामर्थ्यं तथा लभेत् ।
ऐश्वर्यं च लभेत् साक्षाद्दृशा पश्यति राधिकाम् ॥17॥
हिंदी अर्थ:- वह जीवन के पाँच लक्ष्यों धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष और प्रेम में पूर्णता प्राप्त करें, उसे सिद्धि प्राप्त हो। उसकी वाणी शक्तिशाली हो, उसके मुख से कही बातें सच हो जाए, उसे श्री राधिका को अपने सम्मुख देखने का ऐश्वर्य प्राप्त हो । ( 17 )
तेन स तत्क्षणादेव तुष्टा दत्ते महावरम् ।
येन पश्यति नेत्राभ्यां तत् प्रियं श्यामसुन्दरम् ॥18॥
हिंदी अर्थ:- श्री राधिका उस पर प्रसन्न होकर उसे महान वर प्रदान करें कि वह स्वयं अपने आंखों से उनके प्रिय श्री कृष्ण को देखने का सौभाग्य प्राप्त करे। ( 18 )
नित्यलीला–प्रवेशं च ददाति श्री-व्रजाधिपः ।
अतः परतरं प्रार्थ्यं वैष्णवस्य न विद्यते ॥19॥
हिंदी अर्थ:- वृंदावन के स्वामी श्री कृष्ण उस भक्त को अपनी शाश्वत लीलाओं में प्रवेश दें। वैष्णव जन इससे आगे किसी चीज की कामना नहीं करते। ( 19 )
इति श्रीमदूर्ध्वाम्नाये श्रीराधिकायाः
कृपाकटाक्षस्तोत्रं सम्पूर्णम
इस प्रकार श्री राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र संपूर्ण हुआ।
wonderful
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